वैलेंटाइन डे नहीं मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाना चाहिए, वैज्ञानिकों ने कहा?
*माता-पिता ने हमसे अधिक वर्ष दुनिया में गुजारे हैं, उनका अनुभव हमसे अधिक है और सद्गुरु ने जो महान अनुभव किया है उसकी तो हमारे छोटे अनुभव से तुलना ही नहीं हो सकती। इन तीनों के आदर से उनका अनुभव हमें सहज में ही मिलता है। अतः जो भी व्यक्ति अपनी उन्नति चाहता है, उस सज्जन को माता-पिता और सद्गुरु का आदर, पूजन, आज्ञापालन तो करना चाहिए, चाहिए और चाहिए ही!*
14 फरवरी को ʹवेलेंटाइन डेʹ मनाकर युवक-युवतियाँ प्रेमी-प्रेमिका के संबंध में फँसते हैं। वासना के कारण उनका ओज-तेज दिन दहाड़े नीचे के केन्द्रों में आकर नष्ट होता है। उस दिन ʹमातृ-पितृ पूजनʹ काम-विकार की बुराई व दुश्चरित्रता की दलदल से ऊपर उठाकर उज्ज्वल भविष्य, सच्चरित्रता, सदाचारी जीवन की ओर ले जायेगा।
*अनादिकाल से महापुरुषों ने अपने जीवन में माता-पिता और सद्गुरु का आदर-सम्मान किया है।*
कोई हिन्दू, ईसाई, मुसलमान, यहूदी नहीं चाहते कि हमारे बच्चे विकारों में खोखले हो जायें, माता-पिता व समाज की अवज्ञा करके विकारी और स्वार्थी जीवन जीकर तुच्छ हो जायें और बुढ़ापे में कराहते रहें। बच्चे माता-पिता व गुरुजन का सम्मान करें तो उनके हृदय से विशेष मंगलकारी आशीर्वाद उभरेगा, जो देश के इन भावी कर्णधारों को ʹवेलेन्टाइन डेʹ जैसे विकारों से बचाकर गणेशजी की नाईं इंद्रिय-संयम व आत्मसामर्थ्य विकसित करने में मददरूप होगा।
*माता, पिता एवं गुरुजनों का आदर करना हमारी संस्कृति की शोभा है। माता-पिता इतना आग्रह नहीं रखते कि संतानें उनका सम्मान-पूजन करें परंतु बुद्धिमान, शिष्ट संतानें माता-पिता का आदर पूजन करके उनके शुभ संकल्पमय आशीर्वाद से लाभ उठाती हैं।*
14 विकसित और विकासशील देशों के बच्चों व युवाओं पर किये गये सर्वेक्षण में भारतीय बच्चे व युवक सबसे अधिक सुखी और स्नेही पाये गये। लंदन व न्यूयार्क में प्रकाशित इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इसका एक बड़ा कारण है- भारतीय लोगों का पारिवारिक स्नेह एवं निष्ठा! भारतीय युवाओं ने कहा, ʹउनकी जीवन में प्रसन्नता लाने तथा समस्याओं को सुलझाने में उनके माता-पिता का सर्वाधिक योगदान है।ʹ
*भारत में माता-पिता हर प्रकार से अपने बच्चों का पोषण करते हैं और माता-पिताओं का पोषण संतजनों से होता है। माता-पिता, बच्चे-युवक सभी को पोषित करने वाला हिंदू संत आशारामजी बापू द्वारा प्रेरित ʹमातृ-पितृ पूजन दिवसʹ इस निष्कर्ष की पुष्टि करता है।*
#आधुनिक वैज्ञानिकों का मत
माता-पिता के पूजने से अच्छी पढाई का क्या संबंध- ऐसा सोचने वालों को अमेरिका की ʹयूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिल्वेनियाʹ के सर्जन व क्लिनिकल असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सू किम और ʹचिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल ऑफ फिलाडेल्फिया, पेंसिल्वेनियाʹ के एटर्नी एवं इमिग्रेशन स्पेशलिस्ट जेन किम के शोधपत्र के निष्कर्ष पर ध्यान देना चाहिए।
*अमेरिका में एशियन मूल के विद्यार्थी क्यों पढ़ाई में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करते हैं? इस विषय पर शोध करते हुए उन्होंने यह पाया कि वे अपने बड़ों का आदर करते हैं और माता-पिता की आज्ञा का पालन करते हैं तथा उज्ज्वल भविष्य-निर्माण के लिए गम्भीरता से श्रेष्ठ परिणाम पाने हेतु अध्ययन करते हैं।*
भारतीय संस्कृति के शास्त्रों और संतों में श्रद्धा न रखने वालों को भी अब उनकी इस बात को स्वीकार करके पाश्चात्य विद्यार्थियों को सिखाना पड़ता है कि माता-पिता का आदर करने वाले विद्यार्थी पढ़ाई में श्रेष्ठ परिणाम पा सकते हैं।
*जो विद्यार्थी माता-पिता का आदर करेंगे वे ʹवेलेन्टाइन डेʹ मनाकर अपना चरित्र भ्रष्ट नहीं कर सकते। संयम से उनके ब्रह्मचर्य की रक्षा होने से उनकी बुद्धिशक्ति विकसित होगी, जिससे उनकी पढ़ाई के परिणाम अच्छे आयेंगे।
संदर्भ
आशारामजी बापू के प्रवचन से
बहुत सुंदर । वैसे तो माता पिता का पूजन प्रतिदिन किया जाता है। इसे दिवस के रूप में मानना बहुत अच्छी बात है।
जवाब देंहटाएंBahut sunder kah apne
हटाएंबहुत अच्छा लिखा है आपने भारत की खत्म होती संस्कृति और पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव में जो एक नवीन परंपरा उत्पन्न हो रही थी साथी यह जिससे भारतीय संस्कृति खतरे में आ रहे हैं और युवा युवती या अपना मार्ग हो रही थी उसे बचाने के लिए एक बेहतर कदम है माता पिता की सेवा करना सभी का धर्म होना चाहिए और यह हर रोज होना चाहिए
जवाब देंहटाएंVery nice thought s
जवाब देंहटाएंभारत देश के लोगों के द्वारा समाज के द्वारा जो रीति रिवाज बनाया गया है अगर हम उसे बौद्धिक क्षमता के अनुसार पालन करते रहे तो हमारी संस्कृति और धरोहर को कोई नहीं नष्ट कर सकता है और हम अपने पटल पर अग्रसर होते रहेंगे हमारे देश के लोग अपने माता पिता से और गुरु से ज्ञान पाकर विश्व में अपना परिचय स्वयं को दिखाया है किंतु अमेरिका जैसे देश विकसित होकर भी अपनी पैठ को नहीं दर्शा सकता है यह सोचने और विचारणीय बातें हैं चाहे जो भी लोग कहते रहे किंतु अपना देश इस दुनिया में कुछ ना कुछ देता चला आ रहा है और अगर अमेरिका जैसे विकसित देश हम भी रहते तो हम दुनिया को क्या से क्या दिखा देते लेकिन आजकल के समय वैभव और प्यार नहीं रह गया है आजकल के समय पैसा सबसे उचित कीमत हो चुकी है इस वजह से अपने देश के होनहार लोग अमेरिका जैसे देश में चले जा रहे हैं अपना महत्वपूर्ण योगदान देकर दूसरे देश का कीर्तिमान रोशन कर रहे हैं और पश्चिमी सभ्यता को हम ना अपना थे तो या भारत से कहीं ना कहीं दूर रहता वैलेंटाइन डे
जवाब देंहटाएंBahut sundar kaha apne
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