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शुक्रवार, 28 जनवरी 2022

श्री मद्-भगवत गीता के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य


*हर एक सनातनी को इन बातों की जानकारी याद रखनी चाहिए :*         

*"श्री मद्-भगवत गीता" के बारे में-👇🏻*


*🕉️. किसको किसने सुनाई?*

उ.- श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुनाई। 


*🕉️. कब सुनाई?*

उ.- आज से लगभग 7 हज़ार साल पहले सुनाई।


*ॐ. भगवान ने किस दिन गीता सुनाई?*

उ.- रविवार के दिन।


*🕉️. कौन सी तिथि को?*

उ.- एकादशी 


*🕉️. कहाँ सुनाई?*

उ.- कुरुक्षेत्र की रणभूमि में।


*🕉️. कितनी देर में सुनाई?*

उ.- लगभग 45 मिनट में


*🕉️. क्योँ सुनाई?*

उ.- कर्त्तव्य से भटके हुए अर्जुन को कर्त्तव्य सिखाने के लिए और आने वाली पीढियों को धर्म-ज्ञान सिखाने के लिए।


*ॐ. कितने अध्याय है?*

उ.- कुल 18 अध्याय


*🕉️. कितने श्लोक है?*

उ.- 700 श्लोक


*🕉️. गीता में क्या-क्या बताया गया है?*

उ.- ज्ञान-भक्ति-कर्म योग मार्गो की विस्तृत व्याख्या की गयी है, इन मार्गो पर चलने से व्यक्ति निश्चित ही परमपद का अधिकारी बन जाता है। 


*🕉️.गीता को अर्जुन के अलावा*

*और किन किन लोगो ने सुना?*

उ.- धृतराष्ट्र एवं संजय ने


*🕉️. अर्जुन से पहले गीता का पावन ज्ञान किन्हें मिला था?*

उ.- भगवान सूर्यदेव को


*🕉️. गीता की गिनती किन धर्म-ग्रंथो में आती है?*

उ.- उपनिषदों में


*🕉️. गीता किस महाग्रंथ का भाग है....?*

उ.- गीता महाभारत के एक अध्याय शांति-पर्व का एक हिस्सा है।


*ॐ. गीता का दूसरा नाम क्या है?*

उ.- गीतोपनिषद


*🕉️. गीता का सार क्या है?*

उ.- प्रभु श्रीकृष्ण की शरण लेना


*🕉️. गीता में किसने कितने श्लोक कहे है?*

उ.- श्रीकृष्ण जी ने- 574

अर्जुन ने- 85 

धृतराष्ट्र ने- 1

संजय ने- 40.

*अपनी युवा-पीढ़ी को गीता जी के बारे में जानकारी पहुचाने हेतु इसे ज्यादा से ज्यादा शेअर करे।*


*अधूरा ज्ञान खतरनाक होता है।*


33 करोड नहीँ  33 कोटी देवी देवता हैँ हिँदू

धर्म मेँ।

कोटि = प्रकार। 

*देवभाषा संस्कृत में कोटि के दो अर्थ होते है,*

कोटि का मतलब प्रकार होता है और एक अर्थ करोड़ भी होता।

हिन्दू धर्म का दुष्प्रचार करने के लिए ये बात उडाई गयी की हिन्दुओ के 33 करोड़ देवी देवता हैं और अब तो मुर्खातावश हिन्दू खुद ही गाते फिरते हैं की हमारे 33 करोड़ देवी देवता हैं...

*कुल 33 प्रकार के देवी देवता हैँ हिँदू धर्म मे :-*

*12 प्रकार हैं*

आदित्य , धाता, मित, आर्यमा,

शक्रा, वरुण, अँश, भाग, विवास्वान, पूष,

सविता, तवास्था, और विष्णु...!

8 प्रकार हे :-

वासु:, धर, ध्रुव, सोम, अह, अनिल, अनल, प्रत्युष और प्रभाष।

*11 प्रकार है :-*

रुद्र: ,हर,बहुरुप, त्रयँबक,

अपराजिता, बृषाकापि, शँभू, कपार्दी,

रेवात, मृगव्याध, शर्वा, और कपाली।

*एवं*

दो प्रकार हैँ अश्विनी और कुमार।

कुल :- 12+8+11+2=33 कोटी 

*अगर कभी भगवान् के आगे हाथ जोड़ा है*

*तो इस जानकारी को अधिक से अधिक*

*लोगों तक पहुचाएं।*


संदर्भ ग्रंथ 

श्रीमद्भगवद्गीता यथार्थ स्वरूप लेखक कृष्णकृपा मूर्ति श्री श्रीमद् ए. सी. भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद

 अध्याय 12

 प्रकाशन भक्तिवेदांता बुक ट्रस्ट, हरे कृष्ण धाम जूहू मुंबई 400049

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